Tuesday, December 8, 2009

जाने केयू

ना जाने क्यु हर एय्ने मे  अपना अक्स धोंद्ता हूँ, जाने केयू तेरी ही आँखों मे ही अपनी एक पहचान ढूँढता हूँ , खुशियों का पता नहीं  पता  और  ना ही गमो का , मुझे तो सिर्फ तेरे दिल का पता  मालूम है  तभी अपना घर होते हुए भी तेरा दिल के कोने मे रहना चाहता हूँ , मुझे शायद याद नहीं की मेरी तम्मना कया है पर जाने क्यु तेरी आरजूओं का पता याद है , दिल कया धड़कन
क्या नहीं है पता मुझे पर फिर भी जाने क्यु अपनी धरकन मे अक्सर तेरी धड़कन को महसूस करता हूँ ,  जाने क्यु अपने साहिल मे तेरी कश्ती तलाशता फिरता हूँ , अपने अशेयाने मे जाने कयू तुझे  धुन्दता फिरता हूँ, लोगो  ने  मुझे पागल कहा कई यो  ने दीवाना , तो कई सिर्फ हस्ते हुए आगे बढ़ गए , पर जने केयू मे तेरी चोखट से आगे ही ना ही  बढ़ पाया .

अक्सर लोग कहते है की दिया तले अँधेरा  और चारो तरफ रोशनी होती  है , मे तो सिर्फ इतना जनता हूँ की मे मेरे दिये की लो  तुम ही हूँ . वैसे  तो मे चोर नहीं हूँ पर एक चोरी करना चाहता हूँ , तेरे  गमो को चुराकर अपनी खुशियाँ  देना चाहता हूँ , ना आगे ना तेरे पीछे  बल्की तेरे साथ चलना चाहता हू , जाने क्यु तेरी  आँखों  से तेरे  दिल की कताब पढना चाहता हू , जाने केयू  तूझे खुशियों  के पर देकर अरमानो का आकाश देना चाहता चाहता हू, जाने केयू तेरी  चाहत को अपना मकसद बना चाहता हू
जाने क्यु तेरे आईने मे अपनी खुशियों का अक्स देखना चाहता हू , जाने केयू  तेरी अखो मे  अपनी पहचान धूनडना चाहता हू , जाने केयू अपने आप को तुझमे तलाशना चाहता हू .
 जाने केयू?






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